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उत्तराखण्ड पर निबंध | Essay on Uttarakhand in Hindi

मेरा राज्य उत्तराखण्ड पर निबंध Essay on Uttarakhand in Hindi- ये हैभारत की पवित्र तपोभूमि जहा है, कैलास, गंगा, यमुना और गंगोत्री ये राज्य है. मेरा प्यारा राज्य उतराखंड जो भारत का उत्तरी राज्य है. आज हम उतराखंड राज्य के बारे में विस्तार से जानेंगे.

उत्तराखण्ड पर निबंध Essay on Uttarakhand in Hindi

उत्तराखण्ड पर निबंध Essay on Uttarakhand in Hindi

उतराखण्ड भारत का उत्तरी राज्य है. जो तिब्बत, नेपाल, हिमालय तथा उत्तरप्रदेश से सीमाए बनाता है. इस प्रदेश को सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है. ये प्रदेश भारतीय संस्कृति की अनूठी देन है.

उत्तराखंड राज्य सन 2000 से पूर्व उत्तरप्रदेश राज्य का ही भाग था. लेकिन जनता की मांग के कारण इसे एक अलग राज्य का दर्जा दिया गया. इस राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को किया गया था.

इस राज्य का प्रारंभिक नाम उतरांचल था. लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर उतराखंड कर दिया गया. जिसका वर्णन ग्रंथो में मिलता है. इस प्रदेश को पहले उतराखंड के नाम से ही जानते थे. जिसका अर्थ होता है. ऊपरी भाग.

उतराखंड राज्य को सबसे श्रेष्ठ राज्य माना जाता है. इस राज्य में अनेक मंदिर है. तथा यहाँ भगवान् शिव की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र कैलास भी यहाँ पर स्थित है. साथ ही हिमालय पर्वत भी इस राज्य में आता है.

इस राज्य में केवल मंदिर ही नहीं बल्कि यहाँ की सुन्दरता प्राकृतिक तथा व्यवहारिक लोगो को यहाँ आने के लिए प्रेरित करती है. इस राज्य से पवित्र नदिया गंगा, यमुना तथा गंगोत्री जैसी अनेक नदियों निकलती है.

इस राज्य की सुन्दरता के कारण इस राज्य के कई क्षेत्रो को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिया गया है. जो यहाँ की भव्यता को दर्शाता है. इस राज्य की अलौकिक प्रकृति की महरबानी है.

इस राज्य की राजधानी देहरादून है. जो इस राज्य का सबसे बड़ा तथा सुंदर शहर भी है. इस राज्य का कुल क्षेत्रफल 53,483 किमी² है. जिसमे 13 जिले है देहरादून इस राज्य का सबसे बड़ा जिला है.

उतराखंड में जनसँख्या लगभग 1 करोड़ है. इस राज्य के लोगो द्वारा हिंदी तथा संस्कृति भाषा को सम्मलित रूप से बोला जाता है. इसलिए यहाँ की राजकीय भाषा हिंदी तथा संस्कृत दोनो ही है.

इस राज्य की प्राकृतिक बनावट अन्य राज्यों से काफी बेहतर है. जिसका मुख्य कारण यहाँ के लोगो की पर्यावरण के प्रति चेतना है. इस प्रदेश के लोग प्राचीन समय से पेड़ पौधों की रक्षा के लिए जागरूक थे.

चिपको आन्दोलन जिसमे अनेक लोगो ने पेड़ो की रक्षा के लिए अपने प्राण गंवा दी थी. आज भी पेड़ पौधों की रक्षा यहाँ अलग ही ढंग से की जाती है.

इस राज्य को देवताओ की भूमि भी कहा जाता है. इस राज्य को पवित्र माना जाता है. इस राज्य में 85 फीसदी हिन्द लोग रहते तथा यहाँ अन्य धर्म के लोग भी रहते है.

Essay on Devbhoomi Uttarakhand in Hindi

ऊंची ऊंची पर्वत चोटियां उनमें कल कल की आवाज से बहती नदियां तथा झरने सर्पीली सड़कें देवदार के वन उनमें कलरव करते पक्षी फूलों की सुंदर मनोहर घाटियां ठंडी हवा के झोंके और गीत गाते लोग जहां प्रत्येक पर्वत चोटी मंदिर है आसमान सी उज्जवल है.

देवभूमि है ऋषि मुनियों की तपोस्थली है जहां पवित्र धाम है पवित्र नदियां हैं जिसका प्राकृतिक दृश्य देखने को मन लालायित होता है बिल्कुल आपके जहन में सही नाम आ रहा है हम बात कर रहे हैं उत्तरांचल जो वर्तमान में उत्तराखंड नाम से प्रसिद्ध भारत का पहाड़ी राज्य है जिसकी राजधानी देहरादून है.

प्राकृतिक सौंदर्य तथा अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान को कायम रखें उत्तराखंड की भौगोलिक सांस्कृतिक विशेषताओं पर इस लेख के द्वारा चर्चा की जाएगी

उत्तराखंड का इतिहास काफी पुराना है शिला लेखों ताम्र पत्र तथा  अवशेषों से गढ़वाल की प्राचीन सभ्यता से अवगत होते हैं.

पुराणों तथा महाकवि कालिदास के साहित्य में यहां की सभ्यता का गुणगान हुआ है. यहां तक मौर्यकालीन ताम्रपत्र ओं में भी देवभूमि का वर्णन मिलता है.

उत्तराखंड की प्राचीन जातियों में गंधर्व नाग नाथ खस तथा यक्ष का वर्णन भी है इनके अलावा यहां पवित्र स्थानों पर भ्रमण करने के लिए संपूर्ण भारत से आने वाले लोगों ने भी निवास करना शुरू कर दिया था इस कारण प्रत्येक समुदाय के लोग यहां देखने को मिलते है.

उत्तराखंड का पहला शक्तिशाली वंश कुणिन्द वंश था इनके बाद शक तथा कुषाण शासकों ने भी यहां अधिकार किया ह्वेनसांग ने हर्षवर्धन के काल में उत्तराखंड की यात्रा की हर्षवर्धन के साम्राज्य की समाप्ति के बाद नवीन शक्तियों का उदय हुआ जिसमें प्रमुख था.

कार्तिकेय पुर राजवंश जिसने उत्तराखंड पर 300 वर्ष तक शासन किया यह उत्तराखंड का पहला ऐतिहासिक राजवंश था दक्षिण भारत के आदि पुरुष तथा अद्वैतवाद के जनक शंकराचार्य ने बद्रीनाथ व केदारनाथ मंदिरों का पुनर निर्माण करवाया.

कत्यूरी वंश कुमाऊ पर शासन करने वाला प्रमुख वंश रहा तैमूर लंग के हरिद्वार आक्रमण के समय इस वंश की समाप्ति हो गई इसके बाद नेपाल के शासक ने कत्यूरी पर आक्रमण कर उसके कुछ भाग को हथिया लिया.

कुमाऊं में चंद वंश की स्थापना सोमचंद ने की थी यह भी कत्यूरी का समकालीन था इस वंश का सर्वशक्तिशा ली शासक राजा गुरूर चंद था चंद शासकों ने गाय को राज्य पशु बनाया 1790 ईस्वी में गोरखाओं के आक्रमण के कारण  चंद वंश की समाप्ति हो गई.

परमार शासकों ने भी यहां शासन किया तो था गोरखाओ से संघर्ष किया अट्ठारह सौ चार तक आते-आते कुमाऊ तथा गढ़वाल पर नेपाली गौरखाओ ने अधिकार कर लिया था.

1814 में पहली बार अंग्रेजों ने अपनी सेना को भेजकर गढ़वाल को स्वतंत्र कराया परंतु गढ़वाल शासक युद्ध का खर्च न उठा पाने के कारण अपने राज्य को अंग्रेजों को देना पड़ा तथा टिहरी राज्य को 1 अगस्त 1949 को उत्तर प्रदेश का हिस्सा बना दिया.

गोरखा तथा अंग्रेजी शासन के दौरान उत्तराखंड में कई शहरों तथा पर्यटन स्थलों का विकास भी हुआ 1891 में उत्तराखंड से नॉन रेगुलेशन सिस्टम समाप्त किया गया.

1902 में हुए संयुक्त प्रांत आगरा व अवध के गठन के बाद उत्तराखंड को भी इसमें शामिल कर दिया गया. 1904 में उत्तराखंड को हिल स्टेशन नाम दिया गया.

उत्तराखंड का गठन दो 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग करके किया गया यह भारत का 27 वां राज्य बना उत्तराखंड की सीमा हिमाचल प्रदेश उत्तर प्रदेश पूर्व में नेपाल और उत्तर में तिब्बत से लगती है.

पहाड़ों से घिरा हुआ उत्तराखंड की प्रमुख भाषाओं में हिंदी तथा संस्कृत है वही गढ़वाली तथा कुमायुनी भाषा भी स्थानीय भाषाओं के रूप में बोली जाती है.

उत्तराखंड का कुल भौगोलिक क्षेत्र: 51,125 किमी जिसमें से 93% पहाड़ी है और 64% वन से घिरा हुआ है उत्तराखंड हिमालय के दक्षिणी तरफ स्थित है।

उत्तराखंड के अलग-अलग शहरों की जलवायु और वनस्पति उनके स्थान की ऊंचाई के साथ  परिवर्तित हो जाती है ऊंचाई पर स्थित ग्लेशियरों में सबसे अच्छा और मनोहर मौसम रहता हैं और ये बर्फ और नंगे चट्टान से ढके होते हैं।

हालांकि कम ऊंचाई पर घने उष्णकटिबंधीय जंगल हैं। 3000-3500 मीटर के बीच पश्चिमी हिमालय अल्पाइन श्रूब और मीडोज से ढंका है। भारत की पवित्र तथा सबसे बड़ी 2 नदियां गंगा व यमुना का उद्गम इसी उत्तराखंड से होता है.

इस क्षेत्र में कई अन्य बारहमासी झीलें और कई धाराएँ भी हैं। उत्तराखंड का भूगोल इतना विविध है कि इसे भौगोलिक रूप से दो भागों में बांटा जाता है , पश्चिमी गढ़वाल और पूर्वी क्षेत्र कुमाऊं के रूप में जाना जाता है।

उत्तराखंड में भौगोलिक विविधता काफी अधिक है इसमें एक और बड़ी बड़ी पर्वत चोटियां है तो दूसरी तरफ गंगा का मैदानी क्षेत्र भी है विभिन्न प्रकार के 1 तथा मिट्टियां भी पाई जाती है जैव विविधता की दृष्टि से संपन्न राज्य है

उत्तराखंड की जलवायु विशिष्ट है तथा देश की जलवायु की तरह ही विविधता युक्त  है उत्तराखंड के उत्तरी पहाड़ी प्रदेश में वर्षा भी ज्यादा होती है तथा सर्दियों के मौसम में तापमान 0 डिग्री से भी नीचे चला जाता है.

वहीं पश्चिमी उत्तराखंड में जलवायु  शुष्क है तथा वर्षा अल्प मात्रा में होती है गर्मियों की ऋतु में यहां तथा गंगा के मैदान का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर जाता है.

उत्तराखंड की प्रमुख पर्वत चोटियों में सबसे ऊंची पर्वत चोटी नंदा देवी है इसके अलावा कामेत गंगोत्री बंदरपूछ केदारनाथ बद्रीनाथ त्रिशूल  चौखंबा अल्मोड़ा नैनीताल देहरादून इत्यादि है. इसके अलावा बहुत सारी घाटियां भी देखने को मिलती है जो पर्यटक के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है.

उत्तराखंड अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है यहां की हरियाली फूलों की घाटियां तथा असंख्य झीलें बर्फीली चोटियां हिंदुओं के चार प्रसिद्ध तीर्थ स्थान देहरादून मंसूरी जैसे स्थान होने के साथ-साथ यहां देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान जिम कॉर्बेट भी स्थित है इसके अलावा वैली ऑफ फ्लावर्स और नंदा देवी नेशनल पार्क देखने योग्य है.

हिल स्टेशन स्टेशन सुंदरता के कारण पर्यटक के आकर्षण का केंद्र है इसके साथ ही साथ धार्मिक तथा सांस्कृ तिक विशिष्टता के कारण उत्तराखंड अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं.

उत्तराखंड की संस्कृति में समारोह त्योहार परंपराएं रीति रिवाज संगीत नृत्य लोगों का धार्मिक सामाजिक जीवन जीवन  संपूर्ण दृष्टि से विशिष्ट राज्य हैं.

उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में अल्मोड़ा बागेश्वर चमोली चंपावत देहरादून हरिद्वार नैनीताल मंसूरी पौड़ी गढ़वाल पिथौरागढ़ रुद्रप्रयाग टिहरी गढ़वाल उत्तरकाशी प्रमुख है.