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हंस पर निबंध Essay On Swan In Hindi

हंस पर निबंध Essay On Swan In Hindi- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, आज के हमारे आर्टिकल में आज के इस लेख में हम हंस पक्षी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी इस निबंध से माध्यम से प्राप्त करेंगे.

इस लेख में हम हंस का अर्थ तथा नांमकरण, हंस का भोजन, हंस की प्रजातिया, हंस की शारीरिक बनावट, हंस की मुख्य विशेषताएं, हंस का जीवन काल, हंस के रोचक तथ्य, धार्मिक महत्व तथा हंस के स्वभाव को विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे.

हंस पर निबंध | Essay On Swan In Hindi

हंस पर निबंध Essay On Swan In Hindi

पृथ्वी पर पाये जाने वाले सम्पूर्ण पक्षी प्रजाति मे सबसे श्रेष्ठ पक्षी हंस को माना जाता है। ये सबसे सुंदर भी होता है। इसे माता सरस्वती का वाहन भी माना जाता है। हंस का आकार तथा मिलाव बत्तक के समान होता है। जल हंस का घर होता है। हंस अपना ज़्यादातर जीवन जल मे ही व्यतित करते है।

हंस को सबसे पवित्र पक्षी भी माना जाता है। ये दिखने मे बहुत ही सुंदर है। ये बहुत ही प्यारा होता है। हंस वर्तमान मे पूरे विश्व के हर भाग मे पाये जाते है। हंस को बड़े तालाबो मे रहना अच्छा लगता है। ये पक्षी बहुत ही शांति के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है। हमारे देश मे पाये जाने वाले हंस राजहंस प्रजाति के है।

हंस का परिचय (Introduction to swan)

हंस बड़े आकार का होता है। इसका रंग सफ़ेद होता है। ये बहुत ही शर्मीले स्वभाव का होता है। इसका अपना घर नहीं होता है। ये जल मे ही तैरता रहता है।  इसी कारण इसे जलचर पक्षी के नाम से भी जाना जाता है। 

आपने एक कहावत तो सुनी होगी। हंस मे ''दूध का दूध पानी का पानी'' करने की क्षमता रखता है। ये कहावत हंस पर ही बनाई गयी है। इस कहावत का अर्थ है। सत्य तथा असत्य मे अंतर निकालना इस पक्षी की खासियत है। इसलिए इसे सत्य का प्रतीक भी कहते है।

हंस का अर्थ तथा नांमकरण (Meaning and nomination of swan)

प्रत्येक जीव-जन्तुओ के अपने नाम की खासियत होती है। हर नाम का अपना एक अलग मतलब होता है। हंस का अपना एक नाम है। जिसके अर्थ कुछ इस प्रकार के है- हंस,पर्वत, शुद्ध, सूर्या आत्मा, ब्राह्मण आदि होते है। इसे इंग्लिश मे (Swan) भी कहते है। 

हंस बहुर ही दयालु होते है। हंस का नाम एक जॉन प्रकार से है। हंस का शुभ दिन सोमवार को माना जाता है। वर्तमान मे तो लोगो ने अपने बच्चो का नाम हंस रख दिया है।

हंस का भोजन (Goose meal)

हंस का प्रमुख भोजन होता है। बीज, छोटे-बड़े कीड़े- मकोड़े, ईल घास, हरे शैवाल तथा बोर खाता है। कई लोगो का मानना है। कि हंस मोती को चुनकर खाता है। 

इस बात को हम नहीं मान सकते है। क्योकि इसे वैज्ञानिको ने सच साबित नहीं किया है। वैज्ञानिको ने इसके बारे मे वर्णन भी किया परंतु वे इस बात को साबित नहीं कर सके। कि हंस मोती खाता है। ये लोगो के अपने विचार है। 

हंस की प्रजातिया (Swan Species) 

इस सम्पूर्ण संसार के हर भाग मे पाये जाने वाले हंसो की 6 प्रजातीय पायी जाती है। पहले हंसो की प्रजातियों मे कोस्कोरोबा हंस भी हुआ करते थे। जो कि वर्तमान मे हंस नहीं है। 

भारतीय हंसो का रंग सफ़ेद होता है। आस्ट्रेलिया मे पाये जाने वाले हंसो का रंग काला होता है। हंस का जीवनकाल 8 से 10 साल का होता है। ये ज़्यादातर समय अपने साथी के साथ ही बिताते है।

1.राजहंस प्रजाति ( इस प्रजाति के हंस भारत मे पाये जाते है। इन हंसो का रंग सफ़ेद होता है।) 

2.ब्लैक स्वान प्रजाति ( ये हंस आस्ट्रेलिया मे पाये जाते है। इनका रंग काला होता है। इसलिए इनकी इस प्रजाति को ब्लैक स्वान कहते है।) 

3.हूपर हंस प्रजाति (आइसलैंड और उपनगरीय यूरोप और एशिया में, सर्दियों में यूरोप और एशिया मे पाये जाते है। ये प्रजाति वर्तमान मे विलुप्त होने की कगार पर है।)

4.टुंड्रा हंस प्रजाति ( इस प्रजाति के हंस यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका मे पाये जाते है। इसके दो रूप है। जिन्हे उप प्रजाति भी कहा जाता है।)
5.म्यूट स्वान( ये यूरोप, दक्षिणी रूस, चीन मे रहते है।)
6.काले गले वाला हंस (काले गले वाला हंस दक्षिण अमेरिका मे पाये जाते है।)

हंस की शारीरिक बनावट  (Goose anatomy)

हंस का शरीर भारी होता है। जिस कारण ये ज्यादा समय तक आकाश मे नहीं उड़ सकता है। हंस कई रंगो के होते है। जिसमे प्रमुख रंग काला तथा सफ़ेद होता है। 

काले रंग के हंस न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया मे पाये जाते है। सफ़ेद रंग के हंस भारत मे पाये जाते है। हंस की गर्दन सबसे लंबी तथा घुमावदार होती है। एक स्वस्थ हंस का वजन 10 से 15 किलोग्राम होता है। 

हंस के शरीर की लंबाई लगभग 145 सेमी. तक हो सकती है। हंस के दो पैर होते है। जिससे इसे पानी मे तैरने तथा जमीन पर चलने मे सहायता कराते है। 

हंस की आंखे काले रंग की होती है। इनकी आंखे बहुत ही तेज होती है। जिससे ये छोटे-छोटे कीड़ो को आसानी से ढूंढ पाती है। हंस के पंख सफ़ेद रंग क्के होते है। इनके पंखो आ आकार लगभग 2 मीटर तक का होता है। 

हंस की मुख्य विशेषताएं-: (Key Features of Swan)

पूर्व के वैज्ञानिको के आधार पर हंसो को नीर क्षीर पंछी भी माना जाता है। इसकी प्रमुख विशेषता है।  हंस पर एक कहावत है। कि ''दूध का दूध पानी का पानी'' यानि हंस को सत्य तथा पवित्र माना जाता है। हंस अपने सम्पूर्ण जीवन अपने एक साथी के साथ गुजरता है।

यदि साथी की मृत्यु हो जाए तो हंस अकेला ही अपना जीवन व्यतित कर देता है। हंस के एक बहुत ही तीखी चोंच होती है। जिससे ये अपने भोजन को आसानी से पकड़ता है। हंस का रंग ही सफ़ेद नहीं होता परंतु इसका दिल भी बहुत साफ होता है। हंस की आवाज बहुत ही सुरीली तथा मीठी होती है। 

हंस का जीवन काल-: (Life time of a Swan)

भारतीय हंसो का औसतन जीवनकाल 10-15 साल तक का होता है। हंस अपने जीवन मे हर समय मुश्किल से बिताता है। हंसिनी एक बार मे 8-10 अंडे देती है। हंस का अपना अलग ही अंदाज होता है। यह एक रचनात्मक पक्षी भी होता है। हंस अपने जीवन से भी ज्यादा अपने बच्चो का ख्याल रखता है।

हंस के रोचक तथ्य (Interesting facts of Hans &Swan) 

हंस को जब हम हंसिनी जब साथ में विचरण करते हुए देखते है। तो वे हमे इस समय मन को बहुत ही अच्छे लगते है। हाँ-हंसनी का विचरण देखने के लिए लोग बहुत दूरी से देखने आते है। भारतीय लोगो को हंस बहुत पसंद आता है। हंस पर भारत मे कई प्रचलित कथा मे हंस का वर्णन किया जाता है। 

हंस अपने जीवन मे एक साथी का चयन करता है। और उसके साथ ही अपना जीवन बिताता है। मादा हंस एक बार मे 5से 9 अंडे देती है। इन अंडो मे से बच्चे 35 से 42 दिन मे बाहर आते है। हिन्दू धर्म मे इसे मारना महापाप है। हंसो का मूल निवास कैलाश पर्वत है। हंस कभी भी किसी का बुरा नहीं करते है।

धार्मिक महत्व (Religious significance Of Swan)

हंस को भारत मे सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। हिन्दुओ तथा भारतीय संस्कृति मे हंस को सबसे महत्वपूर्ण पक्षी माना जाता है। हंस को विद्या की देवी माता सरस्वती का वाहन भी कहा जाता है। इसका रंग बहुत ही आकर्षित करने वाला होता है।

हंस के स्वभाव (Swan nature)

हंस को शांत पक्षी माना जाता है। परंतु ये जब अपने बच्चो की रक्षा कर रहा होता है। तब ये क्रोध मे होता है। इस समय हंस के पास नहीं जाना चाहिए। इस समय वीएच सीधा आक्रमण की करता है। हंस के सम्पूर्ण शरीर मे लगभग 3000 पंख होते है। जिससे ये पानी मे आसानी से तैर सकता है। हंस एक सर्वाहारी पक्षी है। ये फलो के साथ-साथ कीड़े-मकोड़े तथा मछलियो को भी खाता है।   

निष्कर्ष- हमारे देशी हंस बहुत ही अच्छे स्वभाव के होते है। इनकी हमे रक्षा करनी चाहिए। ये हमारा मनोरंजन कराते है। इनके साथ हमे घुल-मिलकर रहना चाहिए। इन्हे दाना-पानी देना चाहिए।

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