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बसंत ऋतु पर निबंध Essay on Spring Season in Hindi

बसंत ऋतू पर निबंध Essay on Spring Season in Hindi - हमारे देश में समय समय पर अनेक ऋतुओ बदलती रहती है.पर सबसे सुहावनी ऋतू बसंत को माना जाता है.जिसमे न ज्यादा धुप होती है और न ज्यादा ठण्ड आज के इस आर्टिकल में हम बसंत ऋतू के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.

बसंत ऋतु पर निबंध Essay on Spring Season in Hindi

बसंत ऋतु पर निबंध Essay on Spring Season in Hindi
हमारे देश मे हर दो महीने के अंतराल के बाद नई ऋतु की शुरुआत होती है। हमारे देश मे छः ऋतुए होती है। जिसमे- सर्दी-गर्मी, बरसात-पतझड़, वसंत-ग्रीष्म आदि छ: ऋतुएँ आती है। और जाती हैं। 

सभी ऋतुओ मे बसंत ऋतु को सबसे लोगप्रिय माना जाता है। बसंत ऋतु हर किसी के मन को भाती है। मनुष्य से लेकर प्रकृति तक बसंत ऋतु का इंतजार करते है। बसंत ऋतु को ऋतुओ का राजा माना जाता है। इसलिए इसे ऋतुराज नाम दिया गया है। 

बसंत ऋतु प्रकृति को शोभान्वित करती है। हमारे देश की सभी ऋतुए भारत माता को तथा पेड़-पौधो को श्र्ंगार कराती है। पर बसंत सभी ऋतुए मे निराली ऋतु है।

ये सबसे श्रेष्ठ ऋतु है। ये प्रकृति को हरा-भरा कर जाती है। इसके आने पर फूल खिल जाते है। पेड़ो पर फल लगते है। तथा लोगो भी इसकी खुशी मे खिल उठते है। 

ये ऋतु अँग्रेजी महीनो मे मार्च-अप्रैल मे आती है। जब ये ऋतु आती है। तब न तो ज्यादा ठंड का मौसम होता है। और न ज्यादा गर्मी का मौसम होता है। इस ऋतु की शुरुआत बसंत पंचमी से होती है। इस ऋतु के समय का परिवेश स्वर्ग के समान होता है।

रंग-बिरंगे खिले फूल चारो तरफ फूलो की बहार तथा कोयल की मीठी वाणी सुनकर मन मोहक हो जाता है। लगता है। जैसे जीवन के सभी पाप दूर हो गए हो और नव जीवन की शुरुआत हुई हो।

इस ऋतु के काल मे अनेक लोगप्रिय त्योहार मनाये जाते है। जिसमे-बसंत पंचमी से लेकर होली तथा महाशिव रात्रि आदि अनेक बड़े-बड़े त्योहार इसी ऋतु मे मनाए जाते है। 

इस ऋतु मे पेड़-पौधो को नया जीवन मिलता है। तथा नए और सुंदर फूल पेड़ पर लग जाते है। और चारो तरफ हरियाली ही हरियाली छा जाती है। आम जैसे पेड़ो पर फल लग जाते है।

तथा कोयल अपनी मधुर वाणी मे संगीत गाती है। जिसे सुनकर दिल दहला जाता है। इस ऋतु के आने के बाद सभी के कष्ट तथा सभी परेशानिया गायब हो जाती है। ये ऋतु शिशिर ऋतु के पश्चात आती है। 

ये ऋतु फाल्गुन मास से शुरू होती है। तथा बैसाख तक चलती है। कई बार ये चैत्र मास से शुरू होकर ज्येष्ट तक चलती है। बसंत ऋतु का अपना एक अलग प्रभाव नजर आता है। खासकर लोगो मे और प्रकृति मे भी नजर आता है। 

इस ऋतु मे अनेक फसले पक जाती है। तथा कई पेड़ पर फूल खिल जाते है। सरसों जैसी फसले इस ऋतु मे ही पकती है। तथा अनेक प्रकार के फूल खिलकर बसंत ऋतु का स्वागत करते है। तथा सभी को आभास कराते है। कि बसंत ऋतु आ गई है। 

पक्षी भी खुश होकर अपनी धुन मे गीत गाते है। जिससे सारा आसमा गूंज उठता है। मनुष्य लोग इस ऋतु का मेरहमी से इंतजार करते है। क्योकि ये सबसे अच्छी ऋतु मानी जाती है। 

इस ऋतु मे लोग अपनी खुशी को प्रकट करते है। तथा किसान लोग अपनी फसल को देखकर बहुत खुश होते है। वे बसंत ऋतु का आभार ज्ञापित करते है। तथा इस ऋतु को अपनी सबसे अच्छी ऋतु मानते है। 

इस ऋतु का परिवेश बहुत अच्छा होता है। जिसके कारण कवि नई-नई कविताए लिखते है। तथा इस ऋतु का आनंद लेते है। इस ऋतु मे हवाएँ बहुत निर्मल तथा मंद-मंद बहती है। जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। 

इस हवा का आनंद लेने के लिए लोग अपने घरो को छोड़कर बाहर बड़े-बड़े पेड़ो के नीचे बैठकर मंद हवा तथा प्रकृति की इस अनूठी मिसाल को देखकर अपना मनोरंजन करते है। माना जाता है। कि इस ऋतु की हवा का ज्यादा सेवन करने से हमारा रक्त साफ हो जाता है। 

इस ऋतु मे रात तथा दिन लगभग समान ही होते है।इस ऋतु मे ज्यादा धूप भी नहीं होती है। बसंत ऋतु से लोग इतना प्यार करते है। कि इसका स्वागत बसंत पंचमी स्वागत के रूप मे उत्सव मनाकर करते है।

बसंत पंचमी को मनाकर लोग अपनी खुशी प्रकट करते है। इस दिन रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर इस ऋतु का स्वागत करते है। इस ऋतु के स्वागत के लिए बच्चे पतंगो को आकाश मे उड़ाते है।

तथा इस ऋतु के आरंभ के रूप मे सरकार भी इस दिन सभी सरकारी कार्यालयो मे अवकाश रखा जाता है। तथा इस दिन मैला भी भरा जाता है। रंगो का त्योहार होली भी इसी ऋतु मे आती है। 

विद्या कि माता सरस्वती का जन्म भी इसी ऋतु के प्रारम्भ मे बसंत पंचमी को हुआ था। तथा हकीकत राय जी की मृत्यु भी इसी दिन हुई थी। इसलिए ये दिन और भी महत्वपूर्ण हो गया। इस दिन माता सरस्वती की जयंती मनाई जाती है। तथा हकीकत राय को सादर श्रन्दाजली अर्पित की जाती है। 

भगवान ने हमे बसंत ऋतु के रुप मे हमे वरदान दिया है। इस ऋतु की हवा का हमे अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। तथा प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेना चाहिए। हमे इस भगवान रूपी वरदान का पूरा उपयोग करना चाहिए। तथा हमारी प्रकृति के परिवेश को और भी सुंदर बनाकर इसका उपयोग करना चाहिए।

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