Essay On Right To Education In Hindi- शिक्षा आज के समय का सबसे बड़ा हथियार है. शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है. तथा हमें शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार है. आज के आर्टिकल में हम शिक्षा के अधिकार यानी Right To Education के बारे में पढेंगे.
भारत सरकार का सबसे कानून सविंधान है. देश का नेतृत्व सविंधान के अनुसार किया जाता है. जो नियम कानून कायदे सविंधान में लिखित है. उन्ही के अनुसार फैसले किये जाते है.
भारतीय सविंधान में भारतीय लोगो को अधिकार देने के लिए मौलिक अधिकार बनाए गए है. जिसमे एक अधिकार शिक्षा का अधिकार भी है. यानी हमें शिक्षा प्राप्त करने का सवैधानिक अधिकार है. इससे हमें कोई वंचित नहीं कर सकता है.
शिक्षा के अधिकार के तहत किसी भी धर्म, समुदाय या किसी भी लिंग का व्यक्ति आजादी के साथ शिक्षा प्राप्त कर सकता है. तथा अपने जीवन में प्रगति कर सकता है.
मनुष्य को ज्ञान देकर सामाजिक बनाने, उसे सभ्य नागरिक बनाने की प्रक्रिया का नाम ही शिक्षा हैं. सामाजिक विज्ञान विश्वकोष के अनुसार शिक्षा ही वयस्क हो रहे बालक को समाज में प्रवेश करने योग्य बनाती हैं.
शिक्षा के द्वारा बालकों के व्यक्तित्व का विकास होता हैं. उनमें भविष्य में स्वावलंबी बनाने की योग्यता एवं क्षमता बढ़ती हैं. लोकतंत्र में सुनागरिकों का निर्माण शिक्षा प्रसार से ही होता हैं.
शिक्षा का अधिकार-स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही हमारे संविधान में यह निश्चय किया गया कि आगामी दस वर्षों में चौदह वर्ष तक के सभी बालकों को बुनियादी शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जाएगी.
परन्तु इस व्यवस्था को लागू करने में पूरे साठ साल लग गये अब निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिनियम 2009 के रूप में सामने आया हैं. जो एक अप्रैल २०१० से पूरे भारत में लागू हो चूका हैं.
इससे शिक्षा के क्षेत्र में कमजोर वर्ग के बालकों को अधिक लाभ मिलेगा. शिक्षा जीवन जीना सिखाती है तो शिक्षा के अधिकार से सभी बालकों को जीवन जीने का बुनियादी अधिकार प्राप्त हो गया हैं.
शिक्षा के अधिकार का स्वरूप- भारत सरकार द्वारा जारी निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम में यह व्यवस्था है कि प्रारम्भिक कक्षा से आठवीं कक्षा तक अर्थात चौदह वर्ष तक प्रत्येक बालक को निशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार होगा.
केद्रीय सरकार तथा राज्य सरकारें समस्त व्यय वहन करेगी. किसी विद्यालय में प्रविष्ट बालक को कक्षा 8 तक किसी कक्षा में नहीं रोका जाएगा,
अर्थात अनुतीर्ण न दिखाकर अगली कक्षा में पदोन्नत करना होगा. और प्रारम्भिक शिक्षा पूरी किये बिना विद्यालय से निष्काषित नहीं किया जाएगा.
बालक को शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीडन नहीं मिलेगा. राष्ट्रीय बालक अधिकार आयोग के अधिनियमों के अनुसार बालकों के समस्त अधिकारों को संरक्षण दिया जाएगा.
शिक्षा का अधिकार से लाभ-शिक्षा का अधिकार अधिनियम से समाज को अनेक लाभ हैं. इससे प्रत्येक बालक को प्रारम्भिक शिक्षा निशुल्क मिलेगी. समाज में साक्षरता का प्रतिशत बढ़ेगा.
शिक्षा परीक्षान्मुखी न होकर बुनियादी हो जाएगी. शिक्षा का व्यवसायीकरण रूक जाएगा. सभी बालकों के व्यक्तित्व का उचित विकास होगा. गरीब अभिभावकों को उसका पूरा लाभ मिलेगा.
उपसंहार-इस प्रकार भारत सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करने से सभी बालकों के लिए ज्ञान मंदिर के द्वार खोल दिए गये हैं. इससे समाज का विकास तथा शिक्षा का उचित प्रसार हो सकेगा तथा साक्षरता शत प्रतिशत वृद्धि होगी.
शिक्षा का अधिकार: शिक्षा का महत्व
1. प्रस्तावना:
शिक्षा का महत्व मानवीय विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह न केवल व्यक्तिगत समृद्धि का माध्यम होता है, बल्कि समाज के साथ ही एक राष्ट्र के विकास का भी कुंजी है। शिक्षा हमारे समाज की सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों को सुधारती है और नागरिकों को एक बेहतर जीवन की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करती है।
2. शिक्षा का संवैधानिक अधिकार:
भारतीय संविधान ने शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है। संविधान के अनुसार, सरकार को प्राथमिक शिक्षा को छः से चौदह वर्षीय बच्चों के लिए अनिवार्य और निःशुल्क बनाने का निर्देश दिया है। इसका उद्देश्य हर बच्चे को उचित शिक्षा का अधिकार देना है।
3. अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का मतलब:
अनिवार्य शिक्षा का अधिकार यह है कि हर छात्र को प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, और इसे निःशुल्क उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि किसी भी छात्र को किसी भी कारणवश प्राथमिक शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है, और उसे किसी भी प्रकार के शारीरिक या मानसिक दंड से भी बचाया जाना चाहिए।
4. शिक्षा के अधिकार अधिनियम से लाभ:
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के लागू होने से समाज में अनेक लाभ होंगे। इससे प्रत्येक छात्र को मुफ्त प्राथमिक शिक्षा प्राप्त होगी, खासकर अल्पसंख्यकों और वंचित वर्ग के छात्रों को उत्साहित किया जाएगा। साक्षरता की दर बढ़ेगी और शिक्षा सामाजिक सुधार का माध्यम बनेगी। इसके साथ ही, शिक्षा को व्यवसायीकरण से भी बचाया जा सकेगा।
5. उपसंहार:
शिक्षा का अधिकार हमारे जीवन की मूल आवश्यकता है। इसके माध्यम से हम समाज को समृद्धि और प्रगति की दिशा में अग्रसर कर सकते हैं। इसलिए, हमें शिक्षा के अधिकार का पूरी तरह से उपयोग करना चाहिए और उसे दिग्दर्शन और समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधना मानना चाहिए।
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