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लव कुश की कहानी Luv Kush Kahani in Ramayan in Hindi

लव कुश की कहानी - luv kush kahani in ramayan in hindi: वाल्मीकि रामायण का love kush kand बड़ा ही रोचक है आज हम आपके साथ luv kush kahani in ramayan साझा कर रहे हैं, जिनसे आप जान पाएगे कि लव कुश कौन थे उनका परिचय इतिहास जीवनी क्या है उनका वंश माता, पिता, कुल विवाह किनके साथ हुआ तथा युद्ध क्या था. आदि को एक स्टोरी के रूप में luv kush ki kahani in hindi में आज हम पढेगे.

लव कुश की कहानी Luv Kush Kahani in Ramayan in Hindi

लव कुश की कहानी Luv Kush Kahani in Ramayan in Hindi
रामायण जिसकी रचना महर्षि वाल्मीकि द्वारा की गई थी. इसमे लव तथा कुश का महत्वपूर्ण योगदान होता है. वैसे तो ये दोनों भगवान राम के पुत्र थे पर राम से अनजान थे.

लव और कुश बड़े होनहार बालक थे उनका जन्म तमसा नदी के किनारे वाल्मीकि आश्रम में हुआ था वे अपनी माता सीता के साथ के किसी आश्रम में रहते थे. बाले काल में समय महर्षि वाल्मीकि नियम का पालन पोषण किया और उन्हें संपूर्ण विज्ञान का ज्ञान दिया.

लव कुश में स्त्री के सभी गुण विद्यमान थी छोटी सी अवस्था में वस्त्र चलाना सीखे थे पाठशाला में महत्वपूर्ण थी उनका निशाना वीर और साहसी गुरु वाल्मीकि रामायण की कथा सुना करते थे. उन्होंने रामायण की कथा कर ली थी.

रामायण की कथा का कार्यक्रम था.एक दिन सीता ने आश्रम के बाहर कुछ और सुना तो उस तरफ दौड़ी रास्ते में कुछ मिल गया उसने बताया कि आश्रम में एक सुंदर घोड़ा आ गया है.

उसे हमने पकड़ लिया है और एक पेड़ से बांध दिया है घोड़ा किस का है यहां कैसे आ गए आप चल देखो तो कहती हुई सीता कुछ के साथ उस स्थान पर कौन सी घोड़े के आभूषणों से सुसज्जित था.

उसकी गर्दन पर एक स्वर्ण पत्र लटक रहा था स्वर्ण पत्र पुराण कथा यह राजा रामचंद्र के अश्वमेध यज्ञ का शो है यदि कृषिता घबरा गई सीता ने कहा तुम उसे शीघ्र छोड़ दो लव ने कहा हम इसे नहीं छोड़ेंगे यह बहुत सुंदर है तुम नहीं जानते इसके पीछे से ना हुई सीता ने कहा क्यों नहीं छोड़ेंगे.

हम ऐसे पकड़ा है हमारा है कुछ बोला सीता ने छोड़ दो नहीं तो हम यूज करती है सीता धर्म लाने के लिए चली गई क्या पिता पुत्र में युद्ध होगा सीता अज्ञात होती है क्या है हमारा है कैसी बातें करते हो बालको यह कोई खेल नहीं है अरे यह राजा राम के अश्वमेध यज्ञ का अशुभ है इसी वही पकड़ सकता है.

जो राम से युद्ध करने को तैयार है तुरंत ही कुछ नहीं उत्तर दिशा में है क्या दिखाता है रे सैनिकों को बालकों की बातें सुनकर बाल लगी वह थोड़ा खोलने के लिए आगे बढ़ा कुश ने उससे कहा देखो सैनिक हम नहीं चाहते हैं कि हमारे बालों से मारे जाओ.

इसलिए घोड़ा खोलने का प्रयास मत करो. चुपचाप लौट जाओं, सैनिक नही माना. लव कुश ने युद्ध के लिए ललकारा सैनिक ने लव कुश पर एक बाण छोड़ा. लव ने बाण के दो टुकड़े कर दिए.

दोनों ओर बाण चलने लगे. अंत में लव कुश ने सैनिक को हरा दिया. उन्होंने सैनिक के दोनों हाथ पीछे बांध दिए और उनसे कहा जाकर अपने सेनापति से कहों कि सेना लेकर लौट आए और किसी दुसरे घोड़े का प्रबंध कर ले. सैनिक चला गया.

लव कुश सेना को रोकने के लिए चल दिए. सामने से एक विशाल सेना आती हुई दिखाई दी. आगे आगे रथ पर सेनानायक सवार था. राम ने लक्ष्मण के पुत्र चन्द्रकेतु को अश्व की रक्षा का भार सौपा था. वह इस सेना का नायक था.

लव कुश को देखकर चन्द्रकेतु रथ से उतर कर उनके पास आया और बोला तुम राम के अश्वमेध यज्ञ के अश्व को शीघ्र छोड़ दो अथवा मेरे साथ युद्ध करो.

वीर, हम वाल्मीकि के शिष्य है, हम कायर नहीं हैं. हम यूँ ही अश्व नहीं छोड़ेगे. हमसे युद्ध करों और छुड़वा लो. लव ने बाण छोड़ा सारी सेना मूर्तिवत हो गई. इधर सीता वाल्मीकि महर्षि के पास पहुचकर घटना के बारे में बता रही थी. कि एक तपस्वी आया और हाफ्ते हुए बोला महर्षि शीघ्रता कीजिए लव कुश के बाणों से लक्ष्मण मुर्च्छित हो गये हैं.

सीता यह सुनते ही व्याकुल हो उठी, महर्षि वाल्मीकि थोड़ा मुस्कराए, फिर सीता से बोले- दुखी मत हो बेटी जो कुछ हो रहा है शुभ ही हैं.

उधर अयोध्या से कुछ ही दूरी पर विशाल यज्ञशाळा बनी हुई थी. आवश्यक तैयारियां चल रही थी. राम प्रसन्न थे कि अश्व मेघ यज्ञ का अश्व अब बिना रोक टोक के बढ़ा चला जा रहा था.

इतने एक सैनिक घबराया हुआ यज्ञशाला में आया. राम को सादर सिर झुकाकर बोला. महाराज सारे देश का भ्रमण करने के बाद अश्व लौट रहा था तब वाल्मीकि के आश्रम के लव और कुश नामक दो बालकों ने इसे पकड़ लिया.

हमने उन्हें समझाया वे नही माने आखिर युद्ध करना पड़ा. वे साधारण बालक नहीं है महाराज, उनके बाणों से हमारी सेना के अनेक वीर मुर्च्छित हो गये हैं वीर लक्ष्मण भी मुर्च्छित हो गये हैं.

यह सुनते ही राम रथ पर सवार हो महर्षि वाल्मीकि के आश्रम पहुचे. वे दोनों बालकों से बोले- मुनि बालकों मेरे अश्व को शीघ्र छोड़ दो. पर बालक कहाँ मानने वाले थे. राम से भी युद्ध करने को तैयार हो गये.

इतने में सीता महर्षि वाल्मीकि को लेकर वहां पहुची. राम को सामने देखकर वाल्मीकि ने कहा, लव कुश तुम मुझसे अपने पिता के बारे में जानना चाहते थे.

यही तुम्हारे पिता हैं. अयोध्या के राजा राम. यह सुनकर राम ने लव कुश को बाहों में भर लिया. मिलन के इस अद्भुत द्रश्य को देखकर वाल्मीकि की आँखों से हर्ष के आंसू निकल पड़े.

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