विज्ञान वरदान या अभिशाप बढ़ते कदम | vigyan vardan ya abhishap par nibandh
विज्ञान का महत्व और भूमिका- आज इक्कीसवीं सदी के इस दौर को विज्ञान एवं तकनीकी युग के नाम से जाना जाता हैं. मनुष्य का जीवन विज्ञान पर पूरी तरह आश्रित हो गया हैं. मानव जीवन तथा विज्ञान को अलग करना असम्भव सा प्रतीत हो रहा हैं. हमारे जीवन में जो भूमिका शारीरिक अंगों की है वही भूमिका आज विज्ञान निभा रहा हैं. जीवन केनिर्वहन तथा प्रगति के लिए हमें हर कदम विज्ञान की आवश्यकता पड़ रही हैं. आज यह प्रश्न बड़ी चर्चा का विषय है कि विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान है अथवा अभिशाप, यह हमारी सभ्यता को उत्कर्ष की ओर ले जा रहा है अथवा पतन की ओर. समाज का प्रबुद्ध वर्ग इस पर एकमत नहीं हैं.
विज्ञान के बढ़ते कदम- बीते कुछ दशको में विज्ञान ने प्रत्येक क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति की मिसाल पेश की हैं. आज से पचास वर्ष पूर्व तक हम आने जाने के लिए बैल गाडी, घोडा हाथी आदि पर निर्भर थे, एक लम्बी यात्रा में महीनों बीत जाया करते थे. वही आज रेल, हवाई जहाज एवं सड़क परिवहन इतना उन्नत हो चूका है कि सैकड़ों मील की दूरियों को कुछ ही घंटों में नापा जा रहा हैं. विज्ञान के कारण ही आज मानव पक्षियों की भांति आसमान में उड़ने लगा हैं. वैज्ञानिक उपकरणों के आविष्कार के बाद अब एक कमरे में बैठकर
दुनिया भर के दृश्य एवं सूचनाओं को देखना सम्भव हुआ हैं. इंटरनेट विज्ञान का ही चमत्कार है जिसकी बदौलत हम कही भी बैठे व्यक्ति से बातचीत कर सकते हैं. खेलकूद, नृत्य संगीत, समाचार आदि देख व सुन सकते हैं. समस्त प्रकार के
मोबाइल फोन कैमरा, ड्यूल सिम आदि से लेस होने के कारण हमारे जीवन का अहम अंग बन चूका हैं. युद्ध एवं सुरक्षा के क्षेत्र में भी विज्ञान एवं तकनीक के सहारे आज हमने ऐसे हथियारों एवं प्रक्षेपास्त्र का निर्माण कर लिया है जो किसी दौर से अधिक विनाशकारी एवं भयानक हैं. आने वाली सदी भी विज्ञान की होगी, जिसमें तकनीक की उन्नति चरमोत्कर्ष पर होगी.
मानव के लिए वरदान विज्ञान- आधुनिक समाज की महत्वपूर्ण खोजों में से विज्ञान एक हैं. जो तथ्य एवं कारण पर आधारित हैं. मानव सभ्यता को जितना फायदा धर्म एवं इश्वर की अवधारणा से नहीं हुआ उससे अधिक लाभ विज्ञान की अवधारणा से मिला हैं. विज्ञान ने समाज और व्यक्ति दोनों के जीवन तक अपनी पहुँच बनाई हैं. हमारे जीवन के हर पग पर विज्ञान की असीम कृपा बिखरी पड़ी हैं. जिसकी बदौलत जीवन कठिनाइयों से मुक्त होकर आरामदायक बना हैं. परिवहन, संचार, चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान वरदान साबित हुआ हैं.
आज एक क्षेत्र में किसी आपदा आए अथवा जीवन खतरे में हो तो सम्भव है दुसरे देश या राज्य से त्वरित मदद सामग्री पहुचाई जानी सम्भव हुई हैं. शिक्षा एवं संचार के क्षेत्रों को विज्ञान ने अधिक विस्तारित किया हैं. आज एक पाठक दुनिया के किसी कोने में बैठकर समस्त पाठ्य सामग्री समाचार पत्र, पुस्तिकाओं, शोध पत्र आदि का अध्ययन कर सकता हैं.
मानव के लिए विज्ञान अभिशाप- एक तरफ विज्ञान की उन्नति ने मानव जीवन को सुविधा सम्पन्न बनाया है वहीँ कार्यक्षेत्र में विस्तार से उसे अपरिमित रूप देकर अधिक व्यस्त कर दिया हैं. विज्ञान के इस महायुग में इतने क्षेत्र उत्पन्न हुए है कि मानव कहीं खो सा गया. मशीनी सभ्यता के बीच वह भी एक स्वचालित यंत्र सा हो गया हैं.
विज्ञान प्रदत्त सुख सम्पन्नता की चाह में इन्सान अपनी इंसानियत को भूल रहे हैं यह विज्ञान का सबसे बड़ा अभिशाप हैं. लोग एक रोबोट की तरह व्यवहार करने लगे हैं समाज में भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं को बढ़ावा मिलने का एक कारण विज्ञान भी हैं. फैशन, भौतिकता आदि की प्रवृत्ति दिनोदिन बढ़ती ही जा रही हैं. किसी तरह सुख भोग ही मानव मात्र का
उद्देश्य एवं मानसिकता बन चुकी हैं. अणु एवं परमाणु हथियारों के जन्म के साथ ही विज्ञान ने मानव सभ्यता के लिए कब्र खोदने का कृत्य किया हैं. समूल मानव जाति को इसके भयानक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. इन सभी कारणों से आज विज्ञान मानव के लिए बड़े अभिशाप की तरह नजर आ रहा हैं.
समाधान- सभी लोगों को शांतचित्त से सोचने एवं समझने की आवश्यकता हैं. विज्ञान का प्रयोग मानव हित की द्रष्टि से किया जाए न कि उनके विनाश के नयें नयें साधन तैयार करके. एक सीमा तक ही हम विज्ञान के साधनों का अपनी सुविधा तक ही इस्तेमाल करे तो यह हमारे लिए वरदान होगा. हमें समझना चाहिए कि विज्ञान हमारे लिए है न कि हम विज्ञान के लिए. विज्ञान के साधनों का उपयोग उसी हद तक किया जाए जो मानव सभ्यता के लिए अनुकूल हो.
उपसंहार- विज्ञान मानव के लिए वरदान है या अभिशाप इसका उत्तरदायित्व मनुष्य के विवेक एवं बुद्धिमत्ता पर ही हैं. इसके नतीजों को हम सही रूप में प्राप्त कर मानव व प्रकृति के हित को ध्यान में रखकर उपयोग करे तो हमारा जीवन अधिक सम्रद्ध एवं आरामदेह हो सकता हैं. आमजन में भी विज्ञान के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जाए तथा शिक्षा के माध्यम से इसके सकारात्मक पहलू को सामने रखा जाए. विज्ञान ही क्यों कोई भी वस्तु अज्ञानी तथा मुर्ख लोगों के हाथ में आने पर विनाशकारी बन सकती हैं, अतः विज्ञान का सही हाथों में होना भी बेहद जरुरी हैं.
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