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जी.एस.टी. पर निबंध | Essay on GST in hindi

जी.एस.टी. पर निबंध Essay on GST in hindi : वस्तु एवं सेवा कर भारत की नई कर प्रणाली जीएसटी क्या है इसकी विशेषताएं अर्थ प्रभाव परिणाम इतिहास आदि पर यह निबंध दिया गया हैं. इस निबंध, अनुच्छेद, लेख आर्टिकल भाषण पैराग्राफ में हम जी एस टी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.

Essay on GST in hindi

जी.एस.टी. पर निबंध | Essay on GST in hindi
भारत सरकार द्वारा व्यवसाय में बढ़ रहे कर को नियंत्रण में लाने के लिए भारतीय सरकार ने जीएसटी की शरुआत की है. ये अभियान व्यापारियों के लिए लाभदायक है.

जीएसटी का अर्थ गुड्स एंड सर्विस टेक्स यानी वस्तु और सेवाओ पर कर जीएसटी की शुरुआत 1 जुलाई 2017 को की गई थी. जीएसटी के अनुसार सेवाओ और वस्तुओ की पूर्ति के लिए टेक्स भरना होगा.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366 के अनुसार मानव के उपयोग में आने वाले एल्कोहल के अलावा सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले प्रत्येक कर को जीएसटी कहा गया.

सर्वप्रथम 2002 में एनडीए सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष करों में सुधार हेतु विजय केलकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया तथा इस समिति ने भारत में जीएसटी लागू करने की पहली बार  सिफारिश की.

उसके बाद सन् 2007 में बजट के अंतर्गत जीएसटी का उल्लेख किया गया तथा 2010 से इसे लागू करने की सिफारिश की गई.

दूसरी बार सत्ता में आई पुनः यूपीए सरकार ने 2011 में 115 वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में रखा जो जीएसटी से संबंधित था 2014 में लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया उसके कारण यह विधेयक आगे नहीं बढ़ सका.

2014 में पुनः एनडीए सरकार के द्वारा जीएसटी हेतु 122 वा सविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में रखा गया था था.

इस सरकार ने लोकसभा राज्यसभा तथा आधे से अधिक विधानसभाओं से पारित करवाने में सफलता प्राप्त की  परिणाम स्वरूप जीएसटी के रूप में 101वां संविधान संशोधन अधिनियम के रूप में सामने आया.

अब यह प्रश्न हमारे दिमाग में आता है कि आखिर जीएसटी की आवश्यकता क्यों पड़ी जीएसटी को क्यों लाया गया और क्यों जीएसटी इतना महत्वपूर्ण रहा जीएसटी लाने का प्रमुख कारण वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग कर आरोपित किया जाता था.

कई बार वस्तु को सेवा और सेवा को वस्तु समझ कर कर आरोपित कर दिया जाता था जिसके परिणाम स्वरूप कर सिस्टम में जटिलता आ गई  थी साथ ही सरकार को राजस्व में कमी होती थी इसके कारण राजस्व को बढ़ाने तथा कर प्रणाली में सुधार के तहत जीएसटी को लाया गया.   

जीएसटी को लाने का दूसरा प्रमुख कारण यह था कि जीएसटी से पहले राज्यों में वैट की दरें अलग-अलग होती थी जैसे यह देखने को सामने आया कि जो विकसित अल्प विकसित और विकासशील राज्यों के मध्य आर्थिक  असमानता बढ़ती जा रही थी.

जीएसटी से पहले करों की दर सामान्य अधिक थी क्योंकि एक ही वस्तु और सेवा पर केंद्र और राज्य दोनों कर आरोपित करते थे. इसके साथ ही साथ जीएसटी से पहले करके अनुपालना में अधिक कठिनाई थी क्योंकि कर जमा कराने में अधिकतर राज्यों में लगभग बहुत ज्यादा प्रकार के रिटर्न भरने पड़ते थे.

इसके अलावा जीएसटी के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था की साख विश्व स्तर पर बढ़ेगी जैसे भारत का सामाजिक आर्थिक विकास होगा लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा और राजस्व में वृद्धि होगी जिससे सरकार सार्वजनिक या लोक कल्याणकारी कार्यों पर खर्च ज्यादा बढ़ाएगी इन सभी कारणों से जीएसटी लाया गया

जीएसटी में 17 अप्रत्यक्ष क के साथ-साथ 22 उपकर व अधिभारो को शामिल किया गया इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार  के सीमा शुल्क अतिरिक्त सीमा शुल्क अतिरिक्त विशेष सीमा शुल्क उत्पाद शुल्क सेवा कर केंद्रीय बिक्री कर इत्यादि को शामिल किया गया.

तथा राज्य सरकार के स्टेट वेट मनोरंजन कर विज्ञापन कर विला सिता कर तथा बिक्री कर को जीएसटी में शामिल किया गया.

जीएसटी की दरें  - जीएसटी में मुख्य 4 कर की दरें रखी गई जो 5% 12% 18%व 28%है꫰ जीएसटी की दरों में कर के न्याय सिद्धांत का पालन किया गया भारत के आम लोगों के द्वारा उपयोग में ली जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दर कम रखी गई.

जबकि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली वस्तुओं सेवाएं स्वास्थ्य को नुकसान करने वाली वस्तुएं तथा विलासिता की वस्तुओं पर जीएसटी की दरें अधिक रखी गई.

जीएसटी काउंसिल के द्वारा कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दर 0% रखी गई अर्थात जीएसटी काउंसिल के द्वारा भारत की गरीब वर्ग के द्वारा जिन वस्तुओं व सेवाओं का उपयोग किया जाता है उन पर जीएसटी की दरें 0% रखी गई.

जीएसटी काउंसिल के द्वारा पेट्रोलियम पदार्थ क्रूड शराब जैव ईंधन प्राकृतिक गैस तथा विद्युत को जीएसटी से बाहर रखा गया

जीएसटी के लाभ

जीएसटी लाने के परिणाम स्वरूप एक देश एक बाजार एक कर की अवधारणा सफल हुई अर्थात जीएसटी से देश का आर्थिक एकीकरण हुआ. जीएसटी लागू होने से अप्रत्यक्ष करों की दर में कमी आई क्योंकि जीएसटी में अधिकतम कर की दर 28% रखी गई जबकि जीएसटी से पूर्व अप्रत्यक्ष करों की दरें सामान्य अधिक थी.

करके अनुपालना में आसानी हुई क्योंकि जीएसटी में लगभग 17 अप्रत्यक्ष करों को तथा 22 प्रकार की उपकर व दीवारों को उसमें शामिल किया गया साथ ही जीएसटी में रिटर्न भरना भी आसान हो गया जीएसटी की दरें कम होने से व्यापारियों को लाभ होगा.

जिसके परिणाम स्वरूप व्यापारियों के दौरान अपने व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा जिससे रोजगार के अवसर सृजित होंगे आर्थिक विकास की दर में बढ़ोतरी होगी.

व्यापारियों के द्वारा एक से अधिक राज्यों में अपने व्यापार का विस्तार करना आसान हो जाएगा क्योंकि संपूर्ण देश में कर की दरें समान होगी.

जीएसटी के माध्यम से भारत के अल्प विकसित व विकासशील राज्यों को लाभ होगा क्योंकि जीएसटी गंतव्य आधारित कर है अर्थात जिस राज्य में वस्तु व सेवा का  उपभोग होगा.

उस राज्य को कर की प्राप्त होगी जबकि जीएसटी से पहले यह कर जिस राज्य में वस्तु का उत्पादन होता था उसी को मिलता था. जीएसटी लागू होने से कर चोरी में कमी होगी तथा कर के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होगी परिणाम स्वरूप राजस्व में वृद्धि होगी.

जीएसटी लागू होने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख में वृद्धि हुई भारतीय अर्थव्यवस्था की रैंकिंग में सुधार हुआ. जीएसटी के परिणाम स्वरूप विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी.

जिससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों का आगमन बढ़ेगा रोजगार के अवसर सृजित होंगे बेरोजगारी दूर होगी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी वस्तुओं एवं सेवाओं में मूल्य गिरावट के साथ-साथ गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी जिससे लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा.

जीएसटी की विशेषताएं
  1. जीएसटी गंतव्य आधारित  कर है.
  2.  जीएसटी एक मूल्य वर्धित  कर है.
  3. जीएसटी एक अंब्रेला  कर अर्थात जीएसटी में लगभग 17 प्रकार के अप्रत्यक्ष करों को शामिल किया गया है.
  4.  जीएसटी  दोहरी  संरचना से युक्त है क्योंकि इस पर राज्य और केंद्र सरकार क्रमशः सीजीएसटी और आईजीएसटी आरोपित करेंगे.
जीएसटी की चुनौतियां

जीएसटी लाने के बाद अनेक प्रकार की चुनौतियां भी सामने आई है जिसमें आर्थिक विकास की दर लगातार गिरती जा रही है जीएसटी को डिजिटल रूप में लागू किया गया जबकि भारत का डिजिटल आधारभूत ढांचा कमजोर है.

डिजिटल रूप में लागू करने के साथ ही साइबर सुरक्षा का मुद्दा भी उठकर सामने आया है इसके साथ ही साथ जीएसटी नेटवर्क का मालिकाना हक निजी कंपनियों को दिया गया है जो भी संदेह के घेरे में है तथा उनका लक्ष्य सामाजिक कल्याण नहीं हो सकता

जीएसटी नेटवर्क का गठन जीएसटी के संग्रह के लिए किया गया यह पब्लिक प्राइवेट  पार्टनरशिप पर आधारित इसमें केंद्र तथा राज्य सरकार की भूमि का 49% तथा निजी कंपनियों जिसमें एलआईसी एचडीएफसी एनएससी आईसीआईसीआई की 51% है.

साथी जीएसटी नेटवर्क का प्रबंधन इंफोसिस कंपनी के द्वारा किया जाएगा इस नेटवर्क के द्वारा ई वे बिल जारी किए  जाएंगे.

जीएसटी काउंसिल का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279 ए में किया गया है भारत सरकार एवं राज्य सरकारों से मिलकर इसका निर्माण होगा.

तथा इसमें 33 सदस्य होंगे जिसमें एक केंद्रीय वित्त मंत्री   केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री तथा 28 राज्य व 3 केंद्र शासित प्रदेश जहां विधानसभा है.

उनके वित्त मंत्री शामिल होंगे, जीएसटी काउंसिल कोई भी निर्णय तीन चौथाई बहुमत से करेगी जिसमें भारत सरकार को एक तिहाई तथा राज्य सरकार को दो तिहाई मताधिकार का अधिकार दिया गया है.

जीएसटी काउंसिल जीएसटी के संदर्भ में निर्णय  लेने वाली सर्वोच्च संस्था है तथा इसके द्वारा नियमों के अनुसार कोई भी निर्णय लिया जाएगा.

किसी भी वस्तु या सेवा को जीएसटी की किस स्लैब में रखना है इसका निर्धारण भी जीएसटी काउंसिल करेगी इसके साथ साथ कौन सी वस्तुएं  व सेवाएं जीएसटी से बाहर रहेगी.

और जो वर्तमान में जीएसटी से बाहर वस्तुएं हैं जैसे एल्कोहल पेट्रोलियम पदार्थ उनको जीएसटी में कब शामिल किया जाएगा जैसे निर्णय भी जीएसटी काउंसिल  लेगी.

जीएसटी  काउंसिल उपकर तथा अधिभार का विभाजन केंद्र और राज्यों में कैसे होगा का निर्धारण भी करेगी तथा यदि किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा आ जाती है तो उस राज्य को कितना रात पैकेज मिलेगा इसका निर्धारण भी जीएसटी काउंसिल करेगी.

इसके साथ ही साथ भारत सरकार द्वारा विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को कितना अनुदान मिलेगा इसका निर्धारण भी जीएसटी काउंसिल के द्वारा किया जाएगा.

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