समाज का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Society In Hindi
जिस प्रकार से इंसानो को अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए समाज की आवश्यकता होती है उसी प्रकार से समाज को भी अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए इंसानों की आवश्यकता होती है।
ऐसा भी कहा जाता है कि पहले के समय में जब इंसान अकेला था तो वह अपने आप को हिंसक जानवरों से बचाने के लिए हमेशा झुंड में रखना पसंद करता था और धीरे-धीरे वही झुंड आगे चलते हुए परिवार में बदल गए और फिर परिवार ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विकास करना प्रारंभ कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप समाज का निर्माण हुआ।
पहले के समय में जब परिवार एक साथ में रहते थे तब उनके अंदर आदर्शपन था जिसके द्वारा सभ्य समाज का निर्माण होता था परंतु वर्तमान के समय में परिस्थिति पूर्ण रूप से बदल गई है।अब लोग अपने आपको भले ही समाज का हिस्सा मानते है परंतु वह समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को सही प्रकार से नहीं निभाते हैं।
कई लोग तो समाज के प्रति उनके कर्तव्य क्या है इसके बारे में ही नहीं जानते हैं क्योंकि अब मनुष्य संयुक्त परिवार में रहने की जगह पर अकेले रहना पसंद कर रहा है। इसके पीछे कहीं ना कहीं वह अपने स्वार्थ को सर्वोपरि रख रहा है और अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए वह समाज के ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर रहा है।
आज के इंसानों का नजरिया समाज को लेकर के काफी हद तक बदल गया है। वह समाज का मतलब सिर्फ इतना ही जानते हैं कि उन्हें निश्चित क्षेत्र तक ही सीमित रहना है परंतु शायद इस बात को वह भूलते जा रहे हैं कि मनुष्य की जिंदगी के लिए समाज का अस्तित्व कितना अधिक महत्वपूर्ण है।
अगर कोई इंसान समाज में प्रसिद्धि पाता है तो लोग उसका आदर करते हैं और उसके साथ मुलाकात करने के लिए व्याकुल होते हैं। वर्तमान के समय में इंसानों के द्वारा जिस इलाके में तरक्की की जा रही है वह सभी समाज की ही तो देन है।
किसी व्यक्ति के द्वारा अगर किसी भी इलाके में तरक्की की जाती है तो सबसे पहले उस व्यक्ति को उसके समाज के नाम से ही पुकारा जाता है जिसका वह हिस्सा होता है।
इंसान के द्वारा अपने सभी प्रकार के अधिकारों और कर्तव्यों का निर्वहन समाज में रह करके ही किया जाता है। अगर समाज ही नहीं होगा तो फिर उन कर्तव्यों का मतलब ही क्या होगा।
कोई व्यक्ति अगर यह सोचे कि उसे कभी समाज की आवश्यकता नहीं पड़ेगी तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल होती है क्योंकि विकट परिस्थिति में कोई उसका साथ दे या ना दे उसका समाज अवश्य ही उसका साथ देता है.
और शायद इसीलिए भारत में अभी भी समाज को लेकर के लोगों की अपनी अपनी राय है और उनमें से अधिकतर लोग यही सोचते हैं कि समाज का होना एक व्यक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
मनुष्य का शरीर तो एक दिन खत्म हो जाना है परंतु उसका जो समाज है वह हमेशा जिंदा रहता है और उस मनुष्य की जीवन गाथा को अथवा उसके अस्तित्व को लोगों के बीच बनाए रखता है।