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भारत का संविधान पर निबंध | Essay on Constitution of India in Hindi

भारत का संविधान पर निबंध | Essay on Constitution of India in Hindi- किसी देश का सर्वोत्तम कानून सविंधान होता है. हमारे देश का सबसे श्रेष्ठ कानून सविंधान है. इसी के अनुसार हमारा देश चलता है. सविंधान देश का अच्छे ढंग से नेतृत्व करता है. आज हम भारतीय सविंधान के बारे में जानेंगे.

भारत का संविधान पर निबंध | Essay on Constitution of India in Hindi

भारत का संविधान पर निबंध | Essay on Constitution of India in Hindi
हमारे देश का सर्वोच्च विधान ही सविंधान है. हमारे देश की कानून व्यवस्था तथा देश का संचालन सविंधान के अनुसार ही किया जाता है. जिन कानूनों का जिक्र सविंधान में होता है. उसे सवैधानिक अधिकार कहते है.

किसी भी देश का एक सविंधान होता है. हमारे देश की आजादी से पूर्व सविंधान हुआ करता था, पर वो सविंधान लिखित नहीं था. तथा वे कानून राजशाही सरकार द्वारा बनाए जाते थे. जिसमे जनता का कोई रोल नहीं होता था.

आज हमारे देश के पास एक सविंधान है, जो दुनिया का सबसे बड़ा लिखित सविंधान है. ये सविंधान कई देशो के सविंधान से मिलाकर बनाया गया है. इसमे समय समय पर जरुरत के अनुसार बदलाव किये जा सकते है.

सविंधान के नियम को इस प्रकार बनाया गया. जिसमे बदलाव की जरूरत ही नहीं पड़ती  है, पर जब कारणवश बदलाव किया जाता है, तो उसे हम सविंधान संसोधन का नाम देते है.

सविंधान भारत की नियम व्यवस्था तथा प्रक्रियाओ को लिए कार्य करती है. सविंधान के द्वारा निर्मित कानूनों का सञ्चालन करना भारतीय प्रशासन की तथा नागरिको की जिम्मेदारी रहती है.

भारत के संविधान पर 10 पंक्तियाँ

  • भारत का सविंधान सबसे बड़ा लिखित सविंधान है, इसमे बदलाव किया जा सकता है. जिसे संसोधन कहते है.
  • भारत के सविंधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय 114 दिन की बहसे तथा 62 लाख व्यय से निर्माण किया गया है.
  • भारतीय सविंधान के निर्माता भीमराव आंबेडकर को माना जाता है. सविंधान के प्रारूप को बी एन राव द्वारा बनाया गया था.
  • भारतीय सविंधान हिंदी और अंग्रेजो दोनों भाषाओ में लिखा गया है. सविंधान का जनक बाबासाहेब अम्बेडकर को माना जाता है.
  • 42 वे सविंधान संसोधन 1976 को मिनी सविंधान के नाम से जानते है, क्योकि इसमे सविंधान में काफी बदलाव किया गया. इस संसोधन से प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्षता तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता शब्दों को जोड़ा गया. मूल कर्तव्य इसी संसोधन से सम्मलित किये गए.
  • प्रस्तावना को सविंधान की आत्मा कहते है, सविंधान निर्माण में 17 समितिया बनाई गई. प्रस्तवना की भाषा आस्ट्रेलिया के सविंधान से ली गई. के एम् मुंशी ने प्रस्तावना को राजनितिक कुंजी कहा.
  • मूल अधिकार अमेरिका के सविंधान से लिए गए. तथा मूल कर्तव्य कनाडा से और एकल नागरिकता ब्रिटेन के सविंधान से शामिल किये गए.
  • भारतीय सविंधान के मायने में सभी धर्म एक समान है, देश धर्मनिरपेक्ष है, यहाँ की कोई भाषा नहीं है, और न ही कोई राष्ट्रीय खेल है, पर हम हॉकी को राष्ट्रीय खेल मानते है.
  • सविंधान लोकतांत्रिक देश, राष्ट्रीय एकता, भाईचारा, समाजवादी, देश की अखंडता समानता और सभी को स्वतंत्रता का अधिकार देता है. सविंधान जाति, पंथ, धर्म, लिंग या जन्म स्थान के आधार किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है.
  • देश के राष्ट्रीय पर्वो में सविंधान दिवस तथा गणतंत्र दिवस इसी से सम्बंधित है. सविंधान का निर्माण 26 नवम्बर 1949 को पूर्ण हुआ. जिस कारण इस दिन को सविंधान दिवस के रूप में तथा 26 जनवरी 1950 को लागु किया गया. जिस कारण हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते है.
  • भारतीय सविंधान में वर्तमान में 395 अनुच्छेद , 25 भाग तथा 12 अनुसूचिया है. अनुच्छेद 368 के तहत सविंधान में संसोधन किया जा सकता है. अभी तक सविंधान में 103 संसोधन किये जा चुके है.
  • अंग्रेजी संस्करण में 444 अनुच्छेद, 22 भाग, 12 अनुसूचियां और 104 संशोधन किये जा चुके है.
हमारे देश का सविंधान लसीला तथा कठोर है. जो परस्थिति के अनुसार हमें चलने की प्रेरणा देता है. इसमे कई कड़े नियम भी है. तथा कई नियम जिसमे सजा को स्थगित करने का प्रावधान भी है.

भारत के सविंधान को दुनिया के श्रेष्ठ सविंधानो में से एक माना जाता है. हमारे देश के सविंधान को लिखने में अनेक लोगो ने सहयोग किया. सविंधान में बनाए गए नियमो को कई लोगो द्वारा परखकर शामिल किया गया है.

देश की आजादी से पहले ही सविंधान तथा देश के अपने ही नियम बनाने की चर्चाए होने लगी. इस पर कई सभाए की गई. जिसमे सविंधान सभा को बनाने के लिए पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को बुलाई गई.

इस सभा के बाद सविंधान सभा में कई सदस्यों ने भाग लिया तथा 13 दिसम्बर को सविंधान सभा का स्थायी अध्यक्ष के रूप में राजेंद्र प्रसाद को चुना गया. तथा सविंधान का प्रारूप तैयार करने वाली समिति का अध्यक्ष बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर को बनाया गया.

सविंधान निर्माण के लिए 17 समितिया बनाई गई तथा सभी को अलग अलग कार्य सौपे गए. जिसमे सबसे प्रमुख समिति प्रारूप समिति थी. जिसका कार्य सविंधान के ढांचे को तैयार करना था.

सविंधान देश के कानूनों का एक लिखित साक्ष्य है. आज हमारा देश लोकतान्त्रिक देश है. तथा सभी को समानता का अधिकार प्राप्त है. इसकी पुष्टि हमें सविंधान में मिलती है.

जब सविंधान का निर्माण किया गया. तो सभी बातो का ध्यान रखा गया था.क्या क्या विपदाए आ सकती है. उसे किस प्रकार संतुलित किया जा सकता है.सविंधान में हमारे लिए कुछ नियम है. जो हमे सुरक्षा प्रदान करते है.

अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है. तथा अनुच्छेद 51 क में मानव के मूल कर्तव्य के बारे में लिखा गया है. ये अमेरिका क सविंधान से लिए गए है.

मौलिक अधिकार

  • समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

मूल कर्तव्य

मूल कर्तव्य भारतीय सविंधान में रूस से लिए गए है. कुल ११ मूल कर्तव्य है. जिनकी पालना करना अनिवार्य है-
  • हमारे देश के सर्वोच्च कानून संग्रह संविधान के नियमो का पालन करें.
  • देश के आदर्शो संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज तथा राष्ट्रगान का सम्मान करे;
  • देश की आजादी के लिए अपनी क़ुरबानी देने वाले वीरो को याद करे. तथा उनका हमेशा सम्मान करें.
  • देश में एकता तथा अखंडता बनाए रखे. आपसी मतभेदों को समाप्त कर अपने समाज को अक्षुण्ण रखे;
  • जब भी अपने देश की सुरक्षा करने का मौका मिले तो उसे बखूबी निभाए.
  • देश प्रेम बनाए रखे तथा सभी के साथ समानता का भाव प्रदर्शित करें.
  • जाति, धर्म, लिंग, रंग, रूप, योग्यता आदि के आधार पर किसी के साथ भेदभाव न करें.
  • हमारे समाज की कुछ कुप्रथाए है, जो हमारे लिए कलंग बन रही है. उसे बंद करें.
  • देश की संस्कृति को गौरवान्वित करें. तथा इसका महत्व समझकर प्रसार-प्रचार करें.
  • प्रकृति से जुड़े रहे तथा हमेशा प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें.
  • जीवन में किसी के साथ हिंसा ना करें. सभी के साथ दयाभाव बनाए रखें.
  • देश की सार्वजानिक सम्पति को अपना मानकर उसकी रक्षा करें.
  • अपने व्यक्तित्व को सबसे श्रेष्ठ बनाओ तथा समाज में सभी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करो. जब एक व्यक्ति उत्कृष्ट बनता है. तो इसका प्रभाव समाज पर पड़ता है. और जब समाज उत्कृष्ट होता है. तो इसका प्रभाव देश पर पड़ता है. और देश का विकास होता है.
  • सभी बच्चो को शिक्षा से लाभान्वित करवाए.
उपयुक्त सभी मूल कर्तव्य हमें एक आदर्श जीवन जीने की सलाह देते है. जो व्यक्ति इन नियमो के अनुसार चलता है. तथा सभी के साथ सामान भाव रखता है. वो वास्तव में आदर्श व्यक्ति है.

हमारे देश और समाज में कई प्रकार के भेदभाव देखने को मिलते है. जिसमे धार्मिक भेदभाव रंभेद तथा जातिवाद भी प्रमुख है. जो गैरकानूनी है. इसलिए हम एक भारतीय नागरिक होते हुए. इनसे बचना चाहिए.

हमें अपने देश के सविंधान का सम्मान करना चाहिए. तथा उसके सभी नियमो के अनुसार ही चलना चहिए जिससे हमारे देश का गौरव बढ़ता है. तथा हम एक आदर्श व्यक्ति माने जाते है.

भारतीय सविंधान के निर्माण  के समय 395 अनुच्छेद 8 अनुसूचिया तथा 22 भाग थे, जिसमे वर्तमान में 12 भाग है. सविंधान निर्माण के १४ भाषाए थी, जिसके बाद 21 वें सविंधान संसोधन सिन्धी, 71 वें संसोधन नेपाली, मणिपुरी तथा कोंकणी और ९२ वे संसोधन में चार और भाषाए जोड़ी गई इस प्रकार वर्तमान में २२ भाषाए है.

सविंधान में किसी भी राष्ट्रीय भाषा के बारे में नहीं लिखा गया है, पर हम हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते है. लेकिन राजकीय भाषा हिंदी है, जो सरकारी कार्यो में उपयोग में ली जाती है.

अनुसूचिया और उनके कार्य 
  • प्रथम अनुसूची में राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशो के प्रावधान किये गए है. राज्यों का विभाजन कर नया राज्य बनाना इसी अनुसूची में शामिल है. जिसमे 2014 में तेलंगाना को अलग राज्य बनाया गया. इसी के तहत दिल्ली को राजधानी का दर्जा दिया गया.
  • द्वितीय अनुसूची- इस अनुसूची में राजनीतिक पधिकारियो के बारे में उल्लेख है, जिसमे राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्य सभा के सभापति एवं उपसभापति, विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष आदि के पेशन और रोजगार की व्यवस्था का उल्लेख है.
  • तृतीय अनुसूची- इस अनुसूची में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों आदि की शपथ ग्रहण करने का प्रावधान किया गया है.
  • चतुर्थ अनुसूची- इस अनुसूची में राज्य सभा के प्रतिनिधित्व के बारे में उल्लेख किया गया है.
  • पांचवी अनुसूची- इसमे अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित क्षेत्रो का उल्लेख किया गया है.
  • छठी अनुसूची- इसमे असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और त्रिपुरा राज्यों के प्रशासन का वर्णन किया गया है.
  • सांतवी अनुसूची- इस अनुसूची में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के बीच शक्तियों के विभाजन के लिए तीन सूचिया बनाई गई है, जिसमे संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूचि है. 
संघ सूची - इस सूचि के विषयों का सञ्चालन संघ सरकार करती है. इसके विषय पर संसद कानून बना सकती है, ये राष्ट्रीय उपयोगिता के आधार पर इसमें रखे जाते है. इसमे १०० विषय है, जिसमे- भारत की रक्षा, विदेश कार्य, वायु मार्ग, करेंसी और सिक्का, रेल, बैंक, टेलीफोन और डाक आदि प्रमुख है.

सविंधान निर्माण के बाद जो विषय बनते है. उन्हें संघ सूचि में रखा जाता है. जिसमे कंप्यूटर सॉफ्टवेर एक प्रमुख विषय है, जो संघ सूचि में रखा गया है.

राज्य सूची- इस पर राज्य सरकार का अधिकार होता है. वर्तमान में इसमे 61 विषय है. जिसमे न्यायालय ,राज्य पुलिस ,जिला अस्पताल, सफाई, पशु, सिंचाई, कृषि, सड़क, वन, रेलवे पुलिस और वन आदि प्रमुख है.

समवर्ती सूची- इस सूची पर राज्य तथा केंद्र दोनों का अधिकार होता है. पर विवाद के समय केंद्र सरकार का फैसला ही मान्य होता है. इस सूची को आस्ट्रेलिया के सविंधान से लिया गया है.

इसमे वर्तमान में 52 विषय है. जिसमे क्षा, दीवानी एवं फौजदारी मुकदमे, श्रम कल्याण, कारखाने, समाचार पत्र, वन, आर्थिक एवं सामाजिक नियोजन, प्रदूषण नियंत्रण और परिवार नियोजन आदि प्रमुख है.
  • आठवीं अनुसूची- इस अनुसूची में २२ भाषाओ का उल्लेख किया गया है. पहले १४ भाषाए थी. इसमे किसी भाषा को विशेष दर्जा नहीं दिया गया है.
  • नौवीं अनुसूची- ये अनुसूची सविंधान निर्माण के बाद बनने वाली पहली अनुसूची थी, जो 1951 में जोड़ी गई, इसमे राज्य की सम्पति के अधिग्रहण का उल्लेख किया गया है.
  • दसवीं अनुसूची- यह अनुसूची 52 वे सविंधान संसोधन के द्वारा जोड़ी 1985 में जोड़ी गई.
  • ग्यारहवीं अनुसूची- यह 73 वे सविंधान संसोधन के द्वारा 1993 में जोड़ी गई, इसमे पंचायतीराज व्यवस्था के बारे में उल्लेख किया गया है.
  • बारहवीं अनुसूची- इसे 74 वें सविंधान संसोधन के द्वारा 1993 में जोड़ा गया, इसमे स्थानीय स्वशासन के बारे में लिखा गया है.
भागविषयअनुच्छेद
भाग 1संघ तथा संघ के क्षेत्र(अनुच्छेद 1-4)
भाग 2एकल नागरिकता(अनुच्छेद 5-11)
भाग 3मूलभूत अधिकार(अनुच्छेद 12 - 35)
भाग 4राज्य के नीति निदेशक तत्त्व(अनुच्छेद 36 - 51)
भाग 4Aमूल कर्तव्य(अनुच्छेद 51A)
भाग 5संघ(अनुच्छेद 52-151)
भाग 6राज्य(अनुच्छेद 152 -237)
भाग 7संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 द्वारा निरसित(अनु़चछेद 238)
भाग 8संघ राज्य क्षेत्र(अनुच्छेद 239-242)
भाग 9पंचायत(अनुच्छेद 243- 243O)
भाग 9Aनगरपालिकाएँ(अनुच्छेद 243P - 243ZG)
भाग 10अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र(अनुच्छेद 244 - 244A)
भाग 11संघ और राज्यों के बीच सम्बन्ध(अनुच्छेद 245 - 263)
भाग 12वित्त, सम्पत्ति, संविदाएँ और वाद(अनुच्छेद 264 -300A)
भाग 13भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम(अनुच्छेद 301 - 307)
भाग 14A
संघ और राज्यों के अधीन सेवाएँ

अधिकरण
(अनुच्छेद 323A - 323B)
भाग 15निर्वाचन(अनुच्छेद 324 -329A)
भाग 16कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबन्ध सम्बन्ध(अनुच्छेद 330- 342)
भाग 17राजभाषा(अनुच्छेद 343- 351)
भाग 18आपात उपबन्ध(अनुच्छेद 352 - 360)
भाग 19प्रकीर्ण(अनुच्छेद 361 -367)
भाग 20संविधान के संशोधनअनुच्छेद
भाग 21अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध(अनुच्छेद 369 - 392)
भाग 22संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन(अनुच्छेद 393 - 395)

आधारभूत विशेषताएँ

भारतीय सविंधान में सम्प्रुभतासम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य आदि का दर्जा दिया गया है. भारत के सविंधान में कोई धर्म, लिंग या रंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है. सभी के लिए समानता का प्रावधान किया गया है.

सम्प्रभुता- भारतीय सविंधान में सभी की स्वतंत्रता का उल्लेख किया गया है. संप्रभुता का अर्थ नागरिको की स्वतंत्रता. यह भारतीय सविंधान की प्रस्तवना में लिखा गया है.

समाजवादी- समाजवादी शब्द प्रस्तवना में 42 वें सविंधान संसोधन 1976 में समाजवादी शब्द को जोड़ा गया. समाजवादी का अर्थ जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा.

पन्थनिरपेक्ष- भारत एक ऐसा देश है, जिसका कोई धर्म नहीं है, इसे धर्मनिरपेक्षता कहते है. यहाँ सभी को एक समान धर्म माना जाता है. भारत किसी धर्म को न तो बढ़ावा देता है. और न ही किसी के साथ भेदभाव करता है. यह शब्द ४२ वे सविंधान संसोधन में जोड़ा गया.

लोकतान्त्रिक- भारतीय सविंधान भारत को एक लोकतान्त्रिक देश घोषित करता है. यहाँ सरकार का चुनाव मतदान द्वारा किया जाता है. महिलाओ और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है. यहाँ त्रिस्तरीय सरकार कार्य करती है.

शक्ति विभाजन- भारतीय सविंधान में केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच शक्तियों का बंटवारा किया गया है. तथा इन दोनों से लेकर जब स्थानीय सरकार को शक्तिया दी जाती है. जिसे सता का विकेंद्रीकरण कहते है.

संविधान की सर्वोच्चता- सविंधान देश का सर्वोच्च कानून है. सविंधान के अनुसार ही देश को चलाया जाता है. सविंधान के नियमो का पालन करना और उनका सम्मान करना हमारा मौलिक कर्तव्य है.

स्वतन्त्र न्यायपालिका- भारतीय सविंधान में न्यायपालिका को स्वतन्त्रता दी गई है. यहाँ न्यायपालिका निष्पक्ष होकर फैसले लेती है. न्यायपालिका कार्यपालिका तथा विधायिका पर कार्य करती है.

राष्ट्र की अखंडता- राष्ट्र की एकता बनाए रखना हर भारतीय का कर्तव्य है. हमारे देश में दूसरो को शरण दी जा सकती है, पर एक बार जुड़ने के बाद अलग नहीं हो सकते है. देश की एकता और अखंडता को तोड़ने वाला अपराधी माना जाता है.

सभी भारतीय नागरिको को सविंधान की तरह से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता देता है. इसका उल्लेख प्रस्तावना में किया गया है.

हम एक भारतीय नागरिक होते हुए हमारा फर्ज बनता है, कि हम हमारे देश के गौरव सविंधान का सम्मान करें. तथा इसके कानून कायदों का पालन करके एक जिम्मेदार नागरिक बनें. सविंधान हमारी रक्षा करता है. और करता रहेगा.

amendment of Indian constitution in Hindi pdf: भारत का संविधान इतना लचीला है कि जरूरत पड़ने पर मूल ढांचे को छोड़कर कुछ भी बदलाव संभव हैं. यानी संविधान की सर्वोच्चता इसका धर्मनिरपेक्ष व संघीय चरित्र राज्य व केंद्र में शक्ति विभाजन भारत की संप्रभुता तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता को छोड़कर अन्य परिवर्तन किये जा सकते हैं.

भारतीय संविधान के 12 महत्वपूर्ण संशोधन

  1. भाषा के आधार पर राज्यों का गठन 7 वां संविधान संशोधन जो वर्ष 1956 में किया गया, इसी के आधार पर देश में नयें राज्यों का गठन किया गया था.
  2. सम्पति के मूल अधिकार को हटाने के लिए 1978 में 44 वां संविधान संशोधन किया गया था.
  3. वर्ष 1976 में प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने 42 वें संविधान संशोधन द्वारा नागरिकों के आपातकाल में मौलिक अधिकार प्रतिबंधित कर दिए गये.
  4. देश की राजनीति में दल बदल पर सख्त नियम बनाने के लिए 1985 में 52 वां संविधान संशोधन किया गया था.
  5. वर्ष 1992 में पंचायती राज व्यवस्था के लिए 73 वां तथा 74 वां संशोधन
  6. वर्ष 2002 में 86 वां संशोधन करके शिक्षा को मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया.
  7. 2004 में मंत्रियों की संख्या पर नियंत्रण के लिए 91 वां संविधान संशोधन हुआ.
  8. 93 वें संविधान संशोधन के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग को 2006 में आरक्षण दिया गया.
  9. 99 वां संविधान संशोधन 2014 में हुआ जिसमें नेशनल ज्युडिशियल कमीशन की स्थापना की गई.
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